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दुखों का समय धीरे से गुजरता है

  दुखों का समय धीरे से गुजरता है इतने दुखों की तेज हवा में, दिल का दीप जला रक्खा हूँ दिल में ओर तो क्या रक्खा है वर्तमान का दर्द छुपा रक्खा हूँ इधर उधर सब जगह पुकारा है बिगड़ी बात मन में याद रक्खा हूँ धूप से चेहरों ने दुनिया में क्या अंधेरा मचा रक्खा है...? इस नगरी के कुछ लोगों ने दुख को नाम दवा दे रक्खा है पुराने समय की बात क्यूँ न छेड़ू ये धोका भी हमने खा रक्खा है इतने दुखों की तेज हवा में दिल का दीप जला  रक्खा हूँ भूल भी जाओ बीती सब बातें इन झूठी बातों में क्या रक्खा है ऐसा लोग बार-बार मुझे कहते है मै पूर्वजों की बातें याद दिलाता हूँ चुप क्यूँ रहूं,कहू नहीं सब बातें ये क्या बंधन मुझे लगा रक्खा है यह पारब्ध का शेष फल मेरा है दुखी जीवन में क्या रक्खा है...? इतने दुखो की तेज हवाओं में मैंने दिल का दीप जला रक्खा है जय श्री विश्वकर्मा जी की दलीचंद जांगिड सातारा महा.

विश्वकर्मा जी का पाठ करने की विधि:

विश्वकर्मा जी का पाठ करने की विधि: 1. तैयारी: स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान साफ करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विश्वकर्मा जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। दीपक, अगरबत्ती, फूल, चावल, अक्षत, रोली, पान-सुपारी, मिठाई, नारियल आदि सामग्री तैयार रखें। 2. पूजन विधि: शुद्धिकरण: अपने ऊपर थोड़ा जल छिड़कें और स्थान का शुद्धिकरण करें। संकल्प: हाथ में फूल और चावल लेकर संकल्प लें कि आप विश्वकर्मा जी का पूजन कर रहे हैं। दीप-धूप अर्पण करें। फूल और चावल अर्पित करें। विश्वकर्मा जी के मंत्र का जप करें। 3. पाठ या मंत्र: विश्वकर्मा जी की स्तुति (सरल पाठ): ॐ आधार शक्तपे नमः। ॐ कूमयि नमः। ॐ अनन्तम नमः। ॐ पृथिव्यै नमः। विश्वकर्मा नमस्तुभ्यं विश्वस्य सृष्टिकर्तक। त्वया बिना जगत्सर्वं संपूर्णं नैव जायते॥ विश्वकर्मा देवाय नमः। या आप नीचे का संक्षिप्त पाठ भी कर सकते हैं: हे विश्वकर्मा भगवान, सृष्टि के रचयिता, आपकी कृपा से हमारा कार्य सफल हो। हमें सद्बुद्धि और कुशलता प्रदान करें। हमारे औजार, मशीनें, और कार्यस्थल सदा शुभ फल दें। 4. आरती: विश्वकर्मा जी की आरती करें ...

होली निमित कविता

  होली निमीत कविता मुझे रोको ना मुझे टोको ना           गीत सुरीले मुझे गाने दो....... मुझे होली के रंग उड़ाने दो          रंग केसूले के फूलों के  सब पर मुझे उड़ाने तो दो          मुझे रोको ना मुझे टोको ना रंग पंचमी की मिठी मनुहार          आप से अद्दा करने आया हूं पहले मुझे रंग तो उड़ाने दो          मत पकड़ो हाथ मेरा रंग से ज्यादा प्रेम का भुखा हूं          एक केसूले के फूलों की रंग भरी फुंआर तो करने दो          ना कपड़े गन्दे करने आया हूं ना ही काले हरे कलर लगाने आया हूं           रंग तो एक बहाना है साथीयों मैं तो प्रेम बांटने आया हूं           गीत बसंत बहार के गाने दो... नव बर्ष में आप से मिलने आया हूं           पिछले बर्ष के गिले शिकवे आप से मिटाने आया हूं           गीत होली के गाने आया हूं रंग मुझे लगाने...

श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई का विश्वकर्मा मंदिर में भव्य होलिका दहन आयोजन

  श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई का विश्वकर्मा मंदिर में भव्य होलिका दहन आयोजन: एक विस्तृत रिपोर्ट शुभ लौ प्रज्वलित हुई! श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई ने हाल ही में विश्वकर्मा मंदिर में होलिका दहन मनाया। हवा मंत्रों, भक्ति गीतों और समुदाय की स्पष्ट भावना से गुंजायमान थी। यह आयोजन धार्मिक आयोजन से कहीं अधिक था, यह समाज की सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने और सदस्यों के बीच एकता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। होलिका दहन उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का एक जीवंत अनुस्मारक था। यह एक कालातीत संदेश है जो समुदाय में गहराई से गूंजता है। इस कार्यक्रम ने परिवारों को जोड़ने, कहानियाँ साझा करने और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने के लिए एक मंच प्रदान किया। यह रिपोर्ट कार्यक्रम की मुख्य बातें, इसके महत्व और परंपरा को बनाए रखने के लिए समाज के चल रहे प्रयासों का विवरण देती है। विश्वकर्मा मंदिर में होलिका दहन: एक शानदार आयोजन क्या आप उस शानदार माहौल की कल्पना कर सकते हैं? बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित हुए! श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई ने 13 मार्च को विश्वकर्मा मंद...

श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज द्वारा विश्वकर्मा मंदिर में होलिका दहन

  श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई  श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज द्वारा विश्वकर्मा मंदिर में होलिका दहन का भव्य आयोजन  चेन्नई, 14 मार्च शुक्रवार श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई द्वारा 13 मार्च को विश्वकर्मा मंदिर में होलिका दहन का कार्यक्रम अत्यंत धूमधाम और विधि-विधान से संपन्न हुआ। पंडित के.पी. वैष्णव जी ने मंत्रोच्चारण के साथ पूजन विधि संपन्न करवाई। जांगिड़ समाज के अध्यक्ष कन्हैयालाल जी माकड़ और समाज के सभी सदस्यों ने होलिका की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर सुबह से ही मंदिर परिसर में होली स्नेह मिलन का आयोजन किया गया, जिसमें पुरुषों ने होली के पारंपरिक गीत गाए और गैर नृत्य किया। महिलाओं ने भी लूअर और अन्य गीत गाकर माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी चुटकी भर गुलाल और फूलों से होली मनाई गई। मंदिर में बच्चों के लिए धुंधोत्सव का भी आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने खूब मस्ती की। कार्यक्रम के अंत में सभी ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष गोपाल कृष्ण मांकड़, पूर्व अध्यक्ष चोखाराम मांकड़, देवाराम देपड़ा, गोविंद राम देपड़ा, ओमप्रकाश...

फागण री मस्ती,गणी है सस्ती

  फागण री मस्ती,गणी है सस्ती जीणी जीणी उड़े रे गुलाल         गौरी थारा गांव में.... पेहलो फागण खेलण ने आयो         गौरी थारा गांव में.... साथी ड़ा ने साथे लायो         चार दिन वास्ते उणने मनायो पेहली होली मनावण आयो         गौरी थारा गांव में..... गौरी थारा गांव री लुगाईयों         गुंघट में छाने माने देखण लागी नाक आंखीयो कान सू जमाई         इण घर रो गणो रुपाळो है लुगाईयों री बातों सुण सुण        साथीडो मारो कान में सुणावे है मैं पेहलो भागण मनावण आयो         गौरी थारा गांव में..... सहेलियाँ थारी छाने माने         बूट गोगल पेन रुमाल चोरी छुपके मारा चुरावै है         रित जीजा साळी  री पुराणी अजब निभावै है         मांग राकै रुपयों पैसों री मंद मंद मन माए मुस्करावै है         साथी ड़ा रे साथे पेहल फागण खेलण आयो          ग...

जमीन से महंगी दवा हो गई.

  जमीन से महंगी दवा हो गई. Kविता पढ़ जनता का प्रतिउत्तर कवि की कलम लिख रही, वेदना इस संसार की। केमिकल के खाद से उपजे, आधुनिक पैदावार की।। पढ़कर वेदना ऐसी साहब, व्यथित है जग सारा। जमीन कम रह गई है और, लोगों का हुआ अधिक पसारा।। लोग बढ़ गए जगत में तो, भोजन ज्यादा चाहिए। क्या और कैसे करें व्यवस्था, जुगाड़ लगाना चाहिए।। विज्ञान ने नित नए हुकुम, अविष्कार जो कीने हैं। गोबर छोड़ो, यूरिया डालो, कुदरतीय तत्व छीने हैं।। लकड़ी मुड़ जाती है करके, प्लाईवुड बनाया है। प्लाई के लिए सारे वृक्षों को, हमने काट गिराया है।। नदियां रोककर बांध बनाए, और विद्युत बनाई है। पर्वत काटकर सड़कें बनाई, गाड़ियां बहुत भगाई है।। तीर्थ स्थल में यात्रियों के लिए, होटलें खूब बनाई है। उसी में बने हुए हैं शौचालय, गन्दगी बहुत फैलाई है।। वही गन्दगी भरा पानी अब, नदियों में बहता है। जिनको हम माता कहते हैं, ये कैसी पवित्रता है।। कैसे रोकेंगा कविवर कलम से, यह सब लोगों का रोष है। विनाशकारी ये पर्यावरण है पर, घातक मानव को कहां होश है।। तेज धार करो कलम की इसे, दिल्ली के तख्तधारियों तक पहुंचाओ। जहां सुनवाई होती है सम्भव, कविराज अपनी वेदना ...

श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई की आम सभा सम्पन्न, समाज विकास पर हुई चर्चा

श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई की आम सभा सम्पन्न, समाज विकास पर हुई चर्चा चेन्नई, 29 नवंबर (शनिवार): श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई द्वारा विश्वकर्मा मंदिर में एक आम सभा का आयोजन किया गया। इस बैठक में समाज के कल्याण एवं भविष्य में भवन विस्तार को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई। सभा में अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा, प्रदेशसभा तमिलनाडु के प्रदेशाध्यक्ष गोपालकृष्ण मांकड़ , पूर्व अध्यक्ष चोखाराम मांकड़ , देवाराम देपड़ा , चेन्नई जांगिड़ समाज के अध्यक्ष कन्हैयालाल मांकड़ , पूर्व सचिव ओमप्रकाश आसलिया , सचिव महेंद्र बुढ़ल , कोषाध्यक्ष हीरालाल जोहड़ , उपाध्यक्ष हमीराराम कुलरिया , लोकेश बोदलिया , प्रमोद पंवार , वागेश छड़ियां , राजेश छड़िया , दिलीप इंद्राणिया सहित समाज के कई प्रमुख सदस्य एवं समाज बंधु उपस्थित रहे। इस बैठक में समाज के हित में विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें शिक्षा, रोजगार, सामुदायिक विकास और भवन विस्तार से जुड़े प्रस्तावों को समर्थन मिला। बैठक में समाज के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और आने वाले समय में समाज की उन्नति के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प ल...

श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई

heeralal ji kanheyalal ji rajendra ji avm rajesh ji  **चेन्नई**: श्री जांगिड़ ब्राह्मण समाज चेन्नई सभी समाज बंधुओं का अभिनंदन करता है और संगठन के नियमों के पालन की अपील करता है। इस समूह के तहत सभी सदस्यों को एकजुट होकर चलने और आपसी तालमेल बनाए रखने की आवश्यकता है। हाल में, समाज में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण कुछ नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण हो गया है।  समाज के प्रमुख सदस्यों ने समूह के नियमों का पुनरावलोकन किया है जिससे सभी सदस्यों को स्पष्टता मिल सके। समूह में जुड़ने वाले सदस्यों से अनुरोध किया गया है कि वे निम्नलिखित नियमों का पालन करें: 1. **लिंक वाले मैसेज भेजने पर प्रतिबंध**: सदस्यों को आग्रह किया गया है कि वे समूह में किसी भी प्रकार के लिंक वाले मैसेज न भेजें ताकि समूह का उद्देश्य और संप्रेषण साफ-सुथरा बना रहे। 2. **राजनीतिक पोस्ट से दूर रहें**: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि समूह का उद्देश्य केवल समाज के विकास और सशक्तिकरण पर केंद्रित रहे, न कि राजनीतिक विमर्श पर। 3. **व्यक्तिगत टिप्पणियों से बचें**: सदस्यों के बीच आपसी सम्मान बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है क...

जमीन से महंगी दवा हो गई.

   कवि दलीचन्द जी सतारा  जमीन से महंगी दवा हो गई. कविता पढ़ जनता का प्रतिउत्तर कवि की कलम लिख रही, वेदना इस संसार की। केमिकल के खाद से उपजे, आधुनिक पैदावार की।। पढ़कर वेदना ऐसी साहब, व्यथित है जग सारा। जमीन कम रह गई है और, लोगों का हुआ अधिक पसारा।। लोग बढ़ गए जगत में तो, भोजन ज्यादा चाहिए। क्या और कैसे करें व्यवस्था, जुगाड़ लगाना चाहिए।। विज्ञान ने नित नए हुकुम, अविष्कार जो कीने हैं। गोबर छोड़ो, यूरिया डालो, कुदरतीय तत्व छीने हैं।। लकड़ी मुड़ जाती है करके, प्लाईवुड बनाया है। प्लाई के लिए सारे वृक्षों को, हमने काट गिराया है।। नदियां रोककर बांध बनाए, और विद्युत बनाई है। पर्वत काटकर सड़कें बनाई, गाड़ियां बहुत भगाई है।। तीर्थ स्थल में यात्रियों के लिए, होटलें खूब बनाई है। उसी में बने हुए हैं शौचालय, गन्दगी बहुत फैलाई है।। वही गन्दगी भरा पानी अब, नदियों में बहता है। जिनको हम माता कहते हैं, ये कैसी पवित्रता है।। कैसे रोकेंगा कविवर कलम से, यह सब लोगों का रोष है। विनाशकारी ये पर्यावरण है पर, घातक मानव को कहां होश है।। तेज धार करो कलम की इसे, दिल्ली के तख्तधारियों तक पहुंचाओ। जहां सुनवाई ...

आज याद आई गांव की कविता

  ... आज याद आई गांव की .. सोच रहा हूं....... आज जीरो से मैं करु शुरुआत जिस भूतकाल को मैं भूल चुका हूँ धुंधली-धुंधली सी तस्वीरें दिखाई दे रही है आज याद आई मेरे गाँव ग्लीयारे की मेरे गांव ग्लीयारे के लोग भ्रमण कर रहे है पशुधन जा रहा है वन में घास चरने को हर घर से बच्चें स्कूल जाते दिख रहे है चौपाल पर बैठी है पंचायत मेरे गांव की बूजुर्ग हूक्का पी रहे तेज तम्बाकू का न्याय का फरमान भी दोषी को सुना रहे है  दंड लेकर ग्राम पंचायत का खजाना बढा रहे है ये तस्वीरें आज मुझे धुंधली सी दिखाई दे रही है  सोचता हूं आज इन तस्वीरों में रंग भर दूं शायद मुझे मेरा बचपन आज याद आ जाएं अब हर रोज काँलनी के नूकड़ पर जाता हूं पर वे गांव के लोग नजर नहीं आते मूझे जो बचपन में मुझे दिखा करते थे गांव चौपाल स्कूल तालाब सरसों वाली खेती नजर नहीं आ रहे है मेरे बचपन वाले सहपाठी  इसीलिए उन धुंधली तस्वीरों में रंग भरना चाहता हूं बचपन की यादें एक बार फिर से ताजा करना चाहता हूं आज अंत से शुरुआत करना चाहता हूं बचपन की दिख रही धुंधली तस्वीरों में रंग भरना चाहता हूं आज याद आई गांव की मैं खौड का निवासी था, अब सा...

जाति मेरी जांगिड ब्राह्मण है

 ✨ जांगिड ब्राह्मण ✨ जाति मेरी जांगिड ब्राह्मण है, ख्याति मेरी सम्पूर्ण भारत वर्ष में है। मेरे सिर पर जांगिड ब्राह्मण समाज का छत्र है, हाथों में मेरे चार वेदों का पत्र है। अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा मेरी माता समान है, ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी मेरे पिता तुल्य महान हैं। सारा अंगिरस ब्राह्मण समाज झुक-झुक करे प्रणाम, अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा पूरे भारत में कर रही काम। हर तिमाही महासभा का होता है मिलन समारोह, जहाँ मिलकर समाज के आदरणीय देते प्रगति का मार्गदर्शन अभिमान। यहीं से समाज को आगे बढ़ाने का आदेश होता पारित, पूर्वजों के आशीर्वाद से मेरे सिर पर ज्ञान का छत्र है। 117 वर्षों पहले बहाई ज्ञान की धारा, संस्कार, संगठन, शिक्षा से समाज को प्रगति की रीति सिखाई प्यारा। ज्ञानी पंडित अध्यक्ष बनकर आए महासभा में, सबने समाज हित में अपना पूरा जोर लगाया। समाज की एकता और संस्कार शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया, हर महीने "जांगिड ब्राह्मण" पत्रिका को घर-घर पहुँचाया। समाज की गतिविधियों से सबको अवगत कराया, ज्ञान अर्जन हेतु लेख और कविताओं का संकलन कराया। धर्माचार्यों और कवियों को संपादक ने ...

कविता अजर-अमर है

  कविता अजर-अमर है कविताओं पे मेरी जान निसावर थी कैसे बताऊं कविता से कितना प्यार था कविता के हर शब्द शब्द में मिठास था "कवि हूं कवि" ये मेरी पहली कविता थी दिल के तल से मन के भाव उठते थे ज्ञान चक्षु का मन पर कुछ पेहरा था लिखने के पहले मैं अनजान अज्ञान था कागज पर उतरे हर शब्दों से मुझे प्यार था कविताओं के लिए अनेक रातें जागा था मन मंदीर से जब घंटी बजती थी कलम कागज पर चल पड़ती थी  पता नहीं क्या लिखना कहा रुकना था माँ शारदे की जब जब कृपा बरसती थी एक सुंदर छीन आंखो के सामने खड़ा हो जाता था अद्भूत कविता आकार ले लेती थी  यही माँ शारदे का दिया हुआ प्रसाद था सिलसिला कविता का चल हि रहा था  मन प्रफुल्लित हर्ष उल्हास से भरा था झिलमिल दीपक दिख रहा समिप था अब मंझिल मन चाही ज्यादा दूर न थी कविताओं पे मेरी जान निसावर थी कैसे बताऊं मैं तुम्हें कविता से कितना प्यार था कविता के हर शब्द में मिठास था ह्रदय के तल से उठे ये मेरे मन के भाव थे कविता कर सोलाह श्रृंगार पंहुच जाती मँग्नीज के द्वार संपादक के मन भाती व प्रेस में छ्प जाती थी जांगिडों के घर घर पंहुच कर आशिर्वाद पाती थी सबके आशिर्वा...

श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज सेवा समिति जवाली एवं जांगिड़ नवयुवक विकास समिति जवाली के संयुक्त तत्वाधान में रक्तदान शिविर, स्नेह मिलन एवं शपथ ग्रहण समारोह भव्य रूप से संपन्न

  श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज सेवा समिति जवाली एवं जांगिड़ नवयुवक विकास समिति जवाली के संयुक्त तत्वाधान में रक्तदान शिविर, स्नेह मिलन एवं शपथ ग्रहण समारोह भव्य रूप से संपन्न पाली जवाली : श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज सेवा समिति जवाली एवं जांगिड़ नवयुवक विकास समिति जवाली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चौथे रक्तदान शिविर, स्नेह मिलन समारोह एवं शपथ ग्रहण समारोह का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन समाजसेवा और भाईचारे की भावना को और अधिक सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया गया था, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। रक्तदान शिविर: समाजसेवा की अद्भुत मिसाल इस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण रक्तदान शिविर रहा, जिसमें समाज के युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। रक्तदान महादान माना जाता है और इस शिविर में रक्तदान कर समाज के अनेक रक्तवीरों ने अपने इस कर्तव्य को बखूबी निभाया। समिति द्वारा शिविर में भाग लेने वाले सभी रक्तदाताओं को प्रमाण पत्र एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। शिविर के दौरान रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रख...