डॉ दिनेश जी जांगिड 'सारंग' द्वारा लिखित "गजल" मां ने नजर उतारी देख । डॉ दिनेश जांगिड 'सारंग' पहले अपनी पारी देख फिर लोगों की बारी देख । बहा पसीना थोड़ा पहले फिर फूलों की क्यारी देख। काम नहीं बन पाता फिर तो नजरें कर के न्यारी देख । करनी तुमको पार अगर तो दिक्कत है वो सारी देख । गर पाना आनंद सफर का जोड़ी अपनी प्यारी देख । आना जाना खोना पाना जीवन की राह जारी देंख बाजारों का जोखिम भारी नौकरी ले सरकारी देख । क्यों भागे नोटों के पीछे खुश अपनी कलदारी देख। उसको कैसे नजर लगेगी मां ने नजर उतारी देख । साथ निभाना सीख ले पहले फिर 'सारंग' की यारी देख ।