✨ जांगिड ब्राह्मण ✨
जाति मेरी जांगिड ब्राह्मण है,
ख्याति मेरी सम्पूर्ण भारत वर्ष में है।
मेरे सिर पर जांगिड ब्राह्मण समाज का छत्र है,
हाथों में मेरे चार वेदों का पत्र है।
अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा मेरी माता समान है,
ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी मेरे पिता तुल्य महान हैं।
सारा अंगिरस ब्राह्मण समाज झुक-झुक करे प्रणाम,
अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा पूरे भारत में कर रही काम।
हर तिमाही महासभा का होता है मिलन समारोह,
जहाँ मिलकर समाज के आदरणीय देते प्रगति का मार्गदर्शन अभिमान।
यहीं से समाज को आगे बढ़ाने का आदेश होता पारित,
पूर्वजों के आशीर्वाद से मेरे सिर पर ज्ञान का छत्र है।
117 वर्षों पहले बहाई ज्ञान की धारा,
संस्कार, संगठन, शिक्षा से समाज को प्रगति की रीति सिखाई प्यारा।
ज्ञानी पंडित अध्यक्ष बनकर आए महासभा में,
सबने समाज हित में अपना पूरा जोर लगाया।
समाज की एकता और संस्कार शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया,
हर महीने "जांगिड ब्राह्मण" पत्रिका को घर-घर पहुँचाया।
समाज की गतिविधियों से सबको अवगत कराया,
ज्ञान अर्जन हेतु लेख और कविताओं का संकलन कराया।
धर्माचार्यों और कवियों को संपादक ने लेखक बनाया,
नई पीढ़ी को ज्ञान और संस्कार से जोड़ा।
इस देश में जन्मे ब्रह्म ऋषि,
जिन्होंने वेदों से ज्ञान और विज्ञान सिखाया,
उसी महान भूमि के हम वासी हैं,
अपनी संस्कृति और परंपरा के अभिलासी हैं।
जाति मेरी जांगिड ब्राह्मण है,
ख्याति मेरी सम्पूर्ण भारत में है।
सिर पर मेरे जांगिड ब्राह्मण समाज का छत्र है,
हाथों में वेदों का पावन पत्र है।
✨ मैं हूँ जांगिड ब्राह्मण! ✨
!! जय श्री ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी की !!
✍️ लेखक: कवि दलीचंद जांगिड, सातारा, महाराष्ट्र
📞 संपर्क: 9421215933
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