...आज याद आई गांव की..
सोच रहा हूं.......
आज जीरो से मैं करु शुरुआत
जिस भूतकाल को मैं भूल चुका हूँ
धुंधली-धुंधली सी तस्वीरें दिखाई दे रही है
आज याद आई मेरे गाँव ग्लीयारे की
मेरे गांव ग्लीयारे के लोग भ्रमण कर रहे है
पशुधन जा रहा है वन में घास चरने को
हर घर से बच्चें स्कूल जाते दिख रहे है
चौपाल पर बैठी है पंचायत मेरे गांव की
बूजुर्ग हूक्का पी रहे तेज तम्बाकू का
न्याय का फरमान भी दोषी को सुना रहे है
दंड लेकर ग्राम पंचायत का खजाना बढा रहे है
ये तस्वीरें आज मुझे धुंधली सी दिखाई दे रही है
सोचता हूं आज इन तस्वीरों में रंग भर दूं
शायद मुझे मेरा बचपन आज याद आ जाएं
अब हर रोज काँलनी के नूकड़ पर जाता हूं
पर वे गांव के लोग नजर नहीं आते मूझे
जो बचपन में मुझे दिखा करते थे
गांव चौपाल स्कूल तालाब सरसों वाली खेती
नजर नहीं आ रहे है मेरे बचपन वाले सहपाठी
इसीलिए उन धुंधली तस्वीरों में रंग भरना चाहता हूं
बचपन की यादें एक बार फिर से ताजा करना चाहता हूं
आज अंत से शुरुआत करना चाहता हूं
बचपन की दिख रही धुंधली तस्वीरों में रंग भरना चाहता हूं
आज याद आई गांव की
मैं खौड का निवासी था, अब सातारा का रहवासी हूं
आज जीरो से शुरुआत करना चाहता हूं....
आज 0 से करु शुरुआत
मोबाइल 9421215933
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