भारत एक जीता जागता राष्ट्र पुरुष है..आज याद आई कविराज अट्टल बिहारी जी की.
भारत कोई भूमि का टूकड़ा नहीं है, यह जीता जागता राष्ट्र पुरुष है। अट्टल जी ने कहा था.
ये वंदन की धरती है, अभिनंदन की धरती है।यह अर्पण की भुमि है, ये तर्पण की भुमि है।
इसकी नदी नदी हमारे लिए गंगा है, इसका कंकड़ कंकड़ हमारे लिए शंकर है।
हम जीएंगे तो भारत के लिए, मरेंगे तो भी भारत के लिए जय जवान, जय किसान और अब जय विज्ञान
भारत माता की जय हो..
दलीचंद जांगिड सातारा
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